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भोपाल में फिर पकड़ा गया नशे का जखीरा, 4 करोड़ की कोकीन और क्रिस्टल मेथ के साथ युगांडा की महिला गिरफ्तार

भोपाल में 4 करोड़ का ड्रग्स जखीरा, युगांडा महिला गिरफ्तार

भोपाल में फिर पकड़ा गया नशे का जखीरा, 4 करोड़ की कोकीन और क्रिस्टल मेथ के साथ युगांडा की महिला गिरफ्तार

भोपाल, 30 अगस्त 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बार फिर ड्रग्स माफिया का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। डीआरआई (Directorate of Revenue Intelligence) की टीम ने रेलवे स्टेशन पर युगांडा की एक महिला को पकड़ा है, जिसके पास से 147 ग्राम कोकीन और 370 ग्राम क्रिस्टल मेथ बरामद हुआ। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 4 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

कार्रवाई कैसे हुई?

डीआरआई को एक गुप्त सूचना मिली थी कि एक विदेशी नागरिक नशे की बड़ी खेप लेकर दिल्ली से मुंबई जा रही है। सूचना की पुष्टि के बाद भोपाल रेलवे स्टेशन पर निगरानी रखी गई। संदिग्ध महिला को पकड़कर जांच की गई तो उसके पास से कोकीन और क्रिस्टल मेथ बरामद हुआ।

महिला कौन है?

पकड़ी गई महिला युगांडा की नागरिक है। उसने खुद को एक ‘कोरियर’ बताया, जिसका काम केवल ड्रग्स को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना था। जांच एजेंसियां अब उसके संपर्कों और मोबाइल रिकॉर्ड की जांच कर रही हैं।

भोपाल में लगातार ड्रग्स बरामदगी

  • इस्लामनगर इलाके में हाल ही में 60 किलो से ज्यादा मेफेड्रोन और 500 किलो केमिकल पकड़ा गया।
  • राजधानी एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों में विदेशी नागरिकों से नशे की खेप बरामद हो चुकी है।
  • पिछले 15 दिनों में भोपाल से करोड़ों की कीमत का ड्रग्स पकड़ा गया है।

कोकीन और क्रिस्टल मेथ कितने खतरनाक?

कोकीन: यह एक अत्यधिक नशे की लत वाला ड्रग है, जो लंबे समय तक सेवन करने पर हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है।

क्रिस्टल मेथ: जिसे “आइस” कहा जाता है। यह सिंथेटिक ड्रग मस्तिष्क को प्रभावित करता है और उपयोगकर्ता को आक्रामक, अनिद्रा और मानसिक विकार की ओर ले जाता है।

समाज और युवाओं पर असर

भारत में तेजी से फैल रहे ड्रग्स नेटवर्क का सबसे ज्यादा असर युवाओं पर पड़ रहा है। भोपाल जैसे शहर जहां बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं, ड्रग्स तस्करों के लिए आसान लक्ष्य बन रहे हैं।

प्रशासन की सख्ती और चुनौतियां

डीआरआई और पुलिस लगातार कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन तस्कर हर बार नए तरीके अपनाते हैं। कभी खाने-पीने की चीजों में ड्रग्स छिपाते हैं, कभी दवाइयों में। एजेंसियों के लिए असली चुनौती पूरे नेटवर्क को खत्म करना है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

छात्र संगठनों ने सरकार से सवाल किया कि आखिर इतनी बड़ी फैक्ट्री और खेप भोपाल तक कैसे पहुंची। सामाजिक संगठनों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के साथ-साथ जन-जागरूकता भी बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष

भोपाल रेलवे स्टेशन पर हुई यह बरामदगी सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस बड़े नेटवर्क का हिस्सा है जो पूरे देश में युवाओं और समाज को नशे की गिरफ्त में लेने पर तुला है। एजेंसियों की लगातार सफलता यह दर्शाती है कि अगर समाज और सरकार मिलकर काम करें, तो इस “सफेद जहर” को हराया जा सकता है।

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