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सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षकों की दयनीय स्थिति और पुरानी पेंशन लागू करने की माँग | शिक्षक संकट 2025

सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षकों की दयनीय स्थिति और पुरानी पेंशन लागू करने की माँग | शिक्षक संकट 2025

सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षकों की दयनीय स्थिति: पुरानी पेंशन लागू करने की माँग

शिक्षा क्षेत्र में हो रहे प्रयोग और बढ़ती समस्याएँ

शिक्षा व्यवस्था में सुधार के नाम पर विभिन्न नियुक्ति प्रक्रियाएँ अपनाई जा रही हैं। अतिथि शिक्षक, संविदा शिक्षक, सहायक शिक्षक, उच्च श्रेणी शिक्षक, व्याख्याता, शिक्षाकर्मी, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में अलग-अलग तरीके से भर्ती की जा रही है। कहीं कंपनियों के माध्यम से, तो कहीं पात्रता परीक्षा के आधार पर नियुक्ति की जाती है।

वर्षों तक सेवा देने वाले शिक्षक अपने परिवार और समाज के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं, लेकिन सेवा के अंतिम चरण में पहुँचते-पहुँचते मानसिक तनाव, आर्थिक असुरक्षा और पारिवारिक दबाव से जूझ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में तमिलनाडु और मद्रास में कार्यरत शिक्षकों के लिए पुनः परीक्षा देने का आदेश पारित किया है। इस निर्णय से देशभर में शिक्षकों के बीच चिंता बढ़ी है। उठ रहे सवाल:

  • ✔ क्या यह आदेश पूरे देश पर लागू होगा?
  • ✔ क्या सेवानिवृत्ति के निकट पहुँचे शिक्षक भी परीक्षा देकर सेवा में बने रह सकते हैं?
  • ✔ क्या अन्य प्रशासनिक सेवा में कार्यरत अधिकारियों को भी वर्षों बाद फिर से परीक्षा देनी होगी?

शिक्षकों का कहना है कि उन पर परीक्षा का अतिरिक्त बोझ डालना अनुचित है। सेवा में वर्षों से लगे शिक्षकों पर ऐसे नियम लागू करना उनके मानसिक और आर्थिक संकट को और बढ़ा सकता है।

पुरानी पेंशन योजना की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार पुरानी पेंशन योजना लागू करने का आदेश दिया है, लेकिन अधिकांश राज्यों में इसे लागू नहीं किया गया। कहीं मामूली पेंशन मिल रही है तो कहीं बिल्कुल नहीं। इससे सेवानिवृत्त शिक्षकों का जीवन अत्यंत कठिन हो गया है।

कई शिक्षक जिन्होंने दशकों तक सेवा दी, आज दवाई और भोजन के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं। यह स्थिति शिक्षकों का मनोबल गिरा रही है और शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

शिक्षकों की प्रमुख माँगें हैं:

  • ✔ पुरानी पेंशन लागू की जाए
  • ✔ सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का पूरा लाभ दिया जाए
  • ✔ आर्थिक असुरक्षा से बचाने के लिए विशेष योजनाएँ बनाई जाएँ
  • ✔ मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराई जाए

शिक्षा के भविष्य पर संकट

शिक्षक केवल नौकरी नहीं कर रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं। उनके बिना शिक्षा व्यवस्था अधूरी है। आर्थिक, मानसिक और सामाजिक संकट से जूझते शिक्षकों की स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

सेवा के दौरान उन्हें पढ़ाई के साथ प्रशासनिक कार्यों का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है। ऐसे में सेवा समाप्ति के बाद यदि उन्हें जीवन का न्यूनतम सहारा भी न मिले तो यह समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर संकट है।

समाज से अपील

समाज सेवियों, जन प्रतिनिधियों, प्रशासन और आम नागरिकों से अपील है कि शिक्षकों की आवाज़ को सुना जाए। पुरानी पेंशन योजना लागू कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा दी जाए। ग्रेच्युटी का पूरा लाभ दिया जाए और मानसिक स्वास्थ्य सहायता केंद्र स्थापित किए जाएँ।

यह केवल एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की चिंता है। यदि आज हम नहीं जागे तो कल अधिक से अधिक शिक्षकों को संकट का सामना करना पड़ेगा।

एक प्रेरक उदाहरण

🏵️👉 जागो सरकार जागो

हमारे सेवानिवृत गुरुजी भाई श्री मनोहर शिंदे, तहसील कसरावत, जिला खरगोन से अध्यापक बने और प्राथमिक शिक्षक के पद से 2024 में सेवा निवृत्त हुए। 27 वर्षों तक काम करने के बाद भी उन्हें सेवानिवृत्ति के समय न ग्रेच्युटी मिली और न पुरानी पेंशन। बहुत ही कम नवीन पेंशन मिलने के कारण घर का खर्चा चलाना कठिन हो गया है। दवाई और इलाज रुके हैं, पेट भरने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है।

यह देखकर बहुत दुःख होता है कि शिक्षक, जिन्हें राष्ट्र निर्माता कहा जाता है, सेवा समाप्ति के बाद इतनी दयनीय स्थिति में हैं। हम सबको जागरूक होना होगा। ग्रेच्युटी और पेंशन के लिए अंतिम बिंदु तक संघर्ष करना होगा। वरना आने वाले समय में और भी शिक्षकों की यही स्थिति होगी। - विजय श्रीवास्तव

निष्कर्ष

शिक्षक राष्ट्र के निर्माता हैं। उनकी सेवा, संघर्ष और समर्पण को सम्मान मिलना चाहिए। पुरानी पेंशन लागू कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा दी जाए ताकि वे मन से पढ़ा सकें और आने वाली पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य बना सकें।

जागो सरकार जागो!
जागो समाज जागो!
शिक्षकों की आवाज़ बनो, उनका साथ दो!

– विजय श्रीवास्तव

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