ग्यारसपुर की महिला की संदिग्ध मौत से मचा हड़कंप, ग्रामीणों ने किया हाईवे जाम
ग्यारसपुर (मध्यप्रदेश) के एक छोटे से गाँव में रहने वाली महिला की इलाज के दौरान मृत्यु होने की खबर ने तहलका मचा दिया। परिजनों का आरोप है कि महिला का इलाज किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर के द्वारा नहीं बल्कि एक झोला छाप डॉक्टर द्वारा किया जा रहा था। इलाज के दैरान उसकी तबीयत बिगड़ी और मंगलवार शाम को उसकी मृत्यु हो गई।
परिजनों व ग्रामीणों का आक्रोश
मृतका के परिजनों ने डॉक्टर की लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने में एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन उनका कहना है कि एफआईआर के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आक्रोशित परिजन एवं ग्रामीणों ने न्याय की मांग के लिये महिला का शव हाईवे पर रखकर चक्का जाम कर दिया। लोगों का कहना था कि जब तक झोला छाप डॉक्टर पर कड़ी कार्यवाही नहीं की जाएगी, तब तक वे विरोध बंद नहीं करेंगे।
प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस व स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुँचे और लोगों को शांत करने का प्रयास किया। अधिकारियों ने कहा कि मामले की निष्ठापूर्वक जांच कर कार्रवाई की जाएगी, परंतु परिजन एवं ग्रामीण प्रशासन की आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग दोहराई।
चक्का जाम का प्रभाव
हाईवे पर चक्का जाम के कारण लंबी वाहनों की कतारें लग गईं और यातायात काफी प्रभावित हुआ। स्थानीय लोगों के आक्रोश के कारण इलाके में तनाव का माहौल बन गया, जिससे पुलिस को व्यवस्थापक कदम उठाने पड़े और ट्रैफिक बहाल करने के लिए विकल्प तलाशने पड़े।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
यह पूरा मामला ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर गंभीर सवाल उठाता है। ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं की कमी के कारण अक्सर लोग झोला छाप या बिना लाइसेंस वाले उपचारकर्ताओं के पास इलाज कराने को मजबूर होते हैं। ऐसे हालात में इलाज में हुई लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। स्थानीय प्रशासन को ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करने की सख्त आवश्यकता है।
ग्रामीणों की मांग और आगे का रास्ता
ग्रामीणों ने स्पष्ट मांग रखी है कि दोषी डॉक्टर के खिलाफ त्वरित और कड़ा कानूनी कार्यवाही हो। साथ ही, वे चाहते हैं कि भविष्य में किसी भी परिवार को इसी तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े—इसके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, जागरूकता अभियान और नियमित स्वास्थ्य शिविरों की माँग की गई है।
निष्कर्ष
ग्यारासपुर की महिला की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की एक बड़ी विफलता का संकेत है। प्रशासन को चाहिए कि वह मूल वजहों की जांच कर समाधान निकाले और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे। तभी ग्रामीणों का भरोसा बहाल होगा और ऐसे दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।

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