पति ने साली से शादी करने की कोशिश, पत्नी से बढ़ा विवाद
पत्नी का गंभीर आरोप
पत्नी ने पति पर आरोप लगाया कि वह घर-परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के बजाय दूसरी शादी की योजना बनाने में व्यस्त है। पत्नी का कहना है कि पति बच्चों की देखभाल तक सही से नहीं करता और छोटे-छोटे कामों, जैसे बच्चे को समय पर दूध पिलाना, तक की लापरवाही करता है।
पत्नी ने कहा –
> “एक पिता का सबसे पहला फर्ज होता है कि वह बच्चों की परवरिश और देखभाल करे, लेकिन मेरे पति का ध्यान सिर्फ दूसरी शादी और घर तोड़ने पर है।”
विवाद की जड़: साली से नज़दीकी
सूत्रों के मुताबिक, पति और साली के बीच नज़दीकियां कुछ समय से बढ़ रही थीं। धीरे-धीरे मामला इतना आगे बढ़ा कि पति ने अपनी साली से शादी करने का इरादा ज़ाहिर कर दिया। जैसे ही पत्नी को इस बारे में पता चला, उसने जोरदार विरोध किया।
पत्नी ने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी हाल में अपने घर और बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाएगी।
दूसरी ओर, पति अपनी जिद पर अड़ा रहा, जिससे विवाद और गहराता चला गया।
परिवार में तनाव और समाज की प्रतिक्रिया
यह मामला अब सिर्फ पति-पत्नी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे गांव की चर्चा बन गया है। परिजन और रिश्तेदार दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
गांव के कुछ लोग इसे “परिवार का निजी मामला” कहकर दूरी बना रहे हैं, जबकि कुछ लोग पंचायत स्तर पर हस्तक्षेप की बात कर रहे हैं।
समाज में तरह-तरह की चर्चाएँ और अफवाहें फैल रही हैं।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा –
> “इस तरह के मामले पूरे परिवार को तोड़ देते हैं। पति-पत्नी को बैठकर आपसी बातचीत से हल निकालना चाहिए।”
बच्चों पर असर
इस विवाद का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है! पत्नी का कहना है कि जब पति अपनी जिम्मेदारियों से बचता है तो बच्चों की देखभाल अकेले उसके कंधों पर आ जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में बच्चे मानसिक तनाव का शिकार हो सकते हैं और पारिवारिक अस्थिरता से उनका भविष्य प्रभावित हो सकता है।
समाज में उठे बड़े सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—
1. क्या पति का अपनी साली से शादी करना सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से स्वीकार्य है?
2. पति की प्राथमिकता परिवार और बच्चों की देखभाल क्यों नहीं है?
3. क्या ऐसे मामलों में समाज का हस्तक्षेप उचित है या यह पूरी तरह निजी मामला होना चाहिए?
पंचायत और मध्यस्थता
सूत्रों के मुताबिक, गांव के कुछ लोगों ने बीच-बचाव की कोशिश की है। पंचायत स्तर पर भी बातचीत शुरू हुई है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि मामला संवेदनशील है और इसे शांति से सुलझाना जरूरी है।
विशेषज्ञ की राय
परिवार परामर्श देने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवाद की जड़ अक्सर संवाद की कमी और जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक –
पति-पत्नी को सबसे पहले आपसी बातचीत और पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए। यदि जरूरत हो तो परिवार परामर्श (Counseling) लिया जा सकता है।
बच्चों की देखभाल में बराबरी से जिम्मेदारी बांटना रिश्ते को स्थिर करता है।
बिहार का यह मामला दिखाता है कि रिश्तों में भरोसे की नींव कितनी नाजुक होती है। पति का अपनी साली से शादी करने का प्रयास न केवल एक पारिवारिक विवाद बना, बल्कि यह समाज के लिए भी चर्चा का मुद्दा बन गया।
फिलहाल, दोनों पक्षों के बीच बातचीत और पंचायत की पहल जारी है। देखना यह है कि यह मामला किस दिशा में सुलझता है—क्या परिवार टूटेगा या समझदारी और संवाद से फिर से जुड़ पाएगा।
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